इतना भला मत सोचो कि घुटन से मर जाऊं ,
इतना प्यार मत करो कि पिघल कर मिट जाऊं.
बस साथ ही काफी है सब का,
बाकी उड़ान तो मै भर ही लूँगा ऊँचे नीले गगन का .
इतना भी क्या सोचना साथ देने में,
हम सभी तो है अकेले इस ज़िन्दगी के मेले में.
दूसरो से जलने में क्या रखा है,
धूर्तपना छोड़ दो और
दिल से देखो तो हर प्यार ही सच्चा है .
कोई भूतकालीन बात नहीं करता,
बस मन् की ताजगी की बात हूँ करता.
जब चाँद सितारे तोड़ने की बात करते हो,
तो ये बात मानने से क्यों डरते हो !
या तो तब तुम झूठे बन बैठे थे ,
या अब तुम कच्चे बन बैठे हो .
तब जब सच्चे बनने से नही डरे थे,
तो अब क्यों पक्के बनने से कतराते हो.
कौस्तुभ 'मनु'
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