अगर ख्वाब यूँ ही सच होने लगते,
तो ख्वाहिशों का कोई मोल न होता.
करते सिर्फ़ पाने की चाह बस,
पर मिलने का अहसास न होता.
न होती दिलों में आरजू कोई,
कोई दिल में गम ही न होता.
कौस्तुभ 'मनु'
तो ख्वाहिशों का कोई मोल न होता.
करते सिर्फ़ पाने की चाह बस,
पर मिलने का अहसास न होता.
न होती दिलों में आरजू कोई,
कोई दिल में गम ही न होता.
कौस्तुभ 'मनु'