Tuesday, November 6, 2012

नकाब

नकाब में दिखता है आज हर एक शक्स,

दिखता है हर किसी की आँखों में खुदगर्जी का अक्स।

पूछता जब भी 'मनु' इनसे इनका सच,

निकल जाते निगाहें बचा कर सब।

कौस्तुभ 'मनु'

Friday, September 14, 2012

इनायत

उस कशिश की भी कुछ बात थी ,

मानो जैसे उसे सिर्फ मेरी ही आस थी .

शिकवा करते भी थे तो वो मानती थी ,

बुझे रहते थे तो वो हमे हसती थी .
उसकी कमी हमे भी हर वक़्त सताती है,
मानो जैसे हर वक़्त कुछ आसूं संग लाती है.
इंतज़ार अब सिर्फ उस लम्हे का होता है,
जब हर पल लम्हा बेबाक होता है.
कौस्तुभ 'मनु'

Friday, June 15, 2012

ख्वाबों की कहानी

अगर ख्वाब यूँ ही सच होने लगते,
तो ख्वाहिशों का कोई मोल न होता.
करते सिर्फ़ पाने की चाह बस,
पर मिलने का अहसास न होता.
न होती दिलों में आरजू कोई,
कोई दिल में गम ही न होता.

कौस्तुभ 'मनु'

Wednesday, April 18, 2012

खोज

ले कर निकला चिराग हाथ में' मनु',
सोच ढूंढने किसी दिल को ख़ास.
भीड़ में अनजान चहरे मिले,
पर कोई न मिला पास. 
करता चला अंजानो से बातें चार,
पर मिलते रहे धोखों के वार.
पूछता क्या था ख़ास इस धोखे में तेरे,
लोग कहते बस तोड़ना था दिल जो है पास तेरे.
मुस्कुरा कर फिर चल पड़ता 'मनु',
ढूंढने किसी दिल को ख़ास.
कौस्तुभ 'मनु'

Friday, January 27, 2012

साया

ऐ साए मेरे कुछ दूर तो चल साथ मेरे,
हैं नही आज हमदम पास में मेरे,
बोल दे आज तू मुझसे अपने दिल की बात,
तोड़ दे अपनी बरसो की ख़ामोशी को आज.
मत कर अब फ़िक्र ज़माने की तू आज,
मिले चाहे ज़मीन या चाहे चाहत का ताज.
माना रौशनी में खो जाएगा तू एक रोज पर,
ऐ साए मेरे कुछ दूर तो चल साथ मेरे.

कौस्तुभ 'मनु'

Sunday, January 15, 2012

जख्म -ए-जिंदगी

क्या देगी जख्म मुझे तू ऐ जिंदगी,
देगी शिकस्त तुझे मेरी बंदगी.
न छोड़ कसर एक वार का भी,
है जुस्तजू मुझे और लड़ाई सहने का भी.
कस ले कमर हो जा अब तैयार तू,
क्यूंकि अब खाएगी शिकस्त तू.
नहीं बनना पोरस और सिकंदर मुझे,
बस हो जिंदगी तेरा खुबसूरत साथ मुझे.
चाहे लड़ कर मुझसे शिकस्त अपनाये,
या फिर महक बनकर मुझमें समाये.

कौस्तुभ 'मनु'