Wednesday, May 18, 2011

ज़िन्दगी हर पल

कभी तेरी मदहोशी में कदम चल पड़ते थे,
आज अपनी ही तलाश में कदम उठ चलते है।
कभी तेरे दिल से आने वाली आहट का राज़ पूछ्ते थे,
आज अपने ही कदमों की आवाज़ को खामोश रखते है।
कभी मिलते थे सबसे मुस्कुराते हुए,
आज दिखते ख़ामोशी में दूसरो की ख़ुशी में खुद को सँभालते हुए।
करते थे फ़िक्र हर बात की हम हर पल,
बेफ़िक्री में अब घूमते है कदम आज कल

कौस्तुभ 'मनु'