Wednesday, April 6, 2011

'कुछ' हम

तूफ़ान में दिए को जलाने का शौक है,
दिल में ऊपर वाले का खौफ है ।

दिखता उन्माद चेहरे पर कम है,
फिर भी ज़बान हमारी बेशर्मी में तंग है।

बुरे वक़्त में भी मुस्कुराते हम है,
औरों को कभी कभी इसी बात का गम है।

जहाँ सब को आगे बढ़ने की जल्दी है,
हमें खुद को ऊपर उठाने की तेज़ी है।

जहाँ सब को अपनो के लिए समय की कमी है,
हमें अजनबियों के लिए भी आखों में नमी है।

शायद इसी लिए हम सब के लिए अप्रैल के फूल है,
फिर भी हम अपने आप में कूल है ।

कौस्तुभ 'मनु'

1 comment:

  1. Wao, Nice One. Acha to aap ye hunar bhi rakhte hain...

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