Wednesday, November 17, 2010

रोना छोड़ दिया मैंने

गम ने गम का साथ छोड़ दिया,
मैंने भी अब रोना छोड़ दिया।
लोगों ने कहा तुमने मुस्कुराना छोड़ दिया।
मैंने कहा कि मैंने दिल लगाना छोड़ दिया।
करता है ज़ख़्म जब दिल पर कोई,
टूटता है दिल कही और रोता है कही कोई।
बिसात ये दिल की है,
दिमाग को समझ नही आएगी।
सभाल कर पाँव रखियेगा वरना पैरों तले धरती खिसक जायेगी।
कही तो यहाँ घोडा भी सरपट लम्बा दौड़ जाता है,
कभी विशाल हाथी एक झटके में गिर जाता है।
तभी तो प्यार के दो अदना सिपाही दोनों रानी-महाराजा को शिकस्त ,
और बनाते है अपनी एक नयी दुनिया एक आइने के तहत।
तोड़ देते है ये हर बंदिशे हर ताले की चाभी ये रखते है,
दे सके शिकस्त सबको ऐसी हिम्मत अपने अन्दर ये रखते है।
कभी रुठते कभी मानते कभी गुस्सा है ये करते,
फिर भी हमेशा साथ है ये चलते।
न फ़िक्र ज़माने की इन्हें,
रोक सकेगा अब कौन कहाँ इन्हें।

कौस्तुभ 'मनु'

4 comments:

  1. सुंदर पोस्ट ....//
    हसने रोने के पीछे का रहस्य जाने की कोसिस

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