Friday, January 27, 2012

साया

ऐ साए मेरे कुछ दूर तो चल साथ मेरे,
हैं नही आज हमदम पास में मेरे,
बोल दे आज तू मुझसे अपने दिल की बात,
तोड़ दे अपनी बरसो की ख़ामोशी को आज.
मत कर अब फ़िक्र ज़माने की तू आज,
मिले चाहे ज़मीन या चाहे चाहत का ताज.
माना रौशनी में खो जाएगा तू एक रोज पर,
ऐ साए मेरे कुछ दूर तो चल साथ मेरे.

कौस्तुभ 'मनु'

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