Wednesday, November 9, 2011

जिंदगी के नाम

बहुत है गम दुनिया में अगर,
तो खुशिया भी कम नहीं,
मिलने को हो दिल में जज्बात अगर,
तो एक लम्हा भी कम नही.
कितनी संभाल कर रखोगी दिल में नफरतें,
वादा है बदल जाएँगी मोहबत में आपकी नफरतें.
फिर इतिफाक़न कभी जो सामना हुआ अपनी नफरतों से,
वही सिमट के रह जाओगी अपने आसुओं  से .
अभी दिल को ऐतबार है कि,
उसे मुझसे प्यार है.
पूछा  जो मैंने उससे ,
तो उसे भी इसका इकरार है.
चल पड़े है दोनों अब कश्ती को सँभालने,
बैठे है दो इंसान अब ज़िन्दगी को खंघालने.

कौस्तुभ शुक्ल 'मनु'



1 comment:

  1. कश्ती को सँभालने का हौसला बना रहे!

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